प्लेटलेट्स बढ़ाने की injection

आईटी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक इंफोसिस के फाउंडर एन. नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने

IPO कोई मजाक नहीं, लाने से पहले गरीब इंवेस्टर्स के बारे में भी सोचें स्टार्टअप्स: नारायण मूर्ति

आईटी सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक इंफोसिस के फाउंडर एन. नारायण मूर्ति (Narayana Murthy) ने स्टार्टअप कंपनियों के आईपीओ में जल्दबाजी दिखाने के नए ट्रेंड पर कई सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि ये सही ट्रेंड नहीं है और पूरे इकोसिस्टम के लिए खराब है. उन्होंने कहा कि स्टार्टअप के फाउंडर्स को समझना चाहिए कि आईपीओ लाना जिम्मेदारी का काम है,कोईमजाकनहींलानेसेपहलेगरीबइंवेस्टर्सकेबारेमेंभीसोचेंस्टार्टअप्सनारायणमूर्ति ना कि कोई मजाक का काम.हाल में Zomato, Paytm जैसी कई स्टार्टअप कंपनियां बड़े-बड़े IPO लॉन्च किए. निवेशकों ने इन कंपनियों में दिल खोलकर पैसा भी लगाया, लेकिन जल्द ही बाजार में इन कंपनियों के शेयर का प्रदर्शन सबको निराश करने लगा. हालत यहां तक हो गए हैं कि कई निवेशकों को अब तक लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है.ईटी की खबर के मुताबिक नारायण मूर्ति बेंगलुरू में ग्लोबल इनोवेशन कनेक्ट सम्मेलन में बोल रहे थे. स्टार्टअप कंपनियों के आईपीओ लाने में जल्दबाजी दिखाने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि आईपीओ स्टार्टअप कंपनियों के लिए फंडिंग जुटाने का नया राउंड नहीं हो सकता. ये सही बात (इकोसिस्टम के लिए) नहीं है. आईपीओ के साथ बड़ी जिम्मेदारियां आती हैं.साल 1993 में जब इंफोसिस ने खुद को लिस्ट कराया था, तब हम सभी को-फाउंडर्स ने शेयर होल्डर्स को स्थायी रिटर्न की सामूहिक जिम्मेदारी खुद से ली थी. खैर, इस तरह की वैल्यूज अ कंपनियों में बची नहीं. बल्कि स्टार्टअप कंपनियों को वेंचर कैपिटलिस्ट से बहुत सारा दबाव झेलना पड़ता है. ये जल्द से जल्द अपने रिर्टन को कई गुना बढ़ाना चाहते हैं या कंपनी से बाहर आना चाहते हैं.नारायण मूर्ति ने कहा कि कोई भी इंवेस्टर्स शेयर मार्केट में हमेशा ग्रोथ करने के लिए आता है. आईपीओ लाना कोई मजाक की बात नहीं है. कई अरबों डॉलर की वैल्यूएशन सिर्फ भ्रम है. कंपनियों को आईपीओ लाने से पहले उस गरीब से गरीब रिटेल इंवेस्टर्स के बारे में सोचना चाहिए जो उसमें निवेश करने वाले हैं, क्योंकि उनके ऊपर अपने इंवेस्टर्स को अच्छा रिटर्न देने की जिम्मेदारी है.

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